काली मिर्च की खेती करके लाखो कमाने का सही तरीका
देश में दक्षिणी क्षेत्रों के अलावा त्रावणकोर, कोचीन, मलाबार, मैसूर, कुर्ग, महाराष्ट्र, असम के सिलहट और खासी के इलाकों के साथ छत्तीसगढ़ में भी काली मिर्च की खेती प्रमुखता से की जाती है। काली मिर्च की तासीर गर्म होती है। इसलिए गले में दर्द, सर्दी-जुकाम, कफ, अनिद्रा, जैसे रोगों में इसका सेवन लाभदायक साबित होता है। एक बार पौधों की रोपाई कर के 25 से 30 वर्षों तक फल प्राप्त कर सकते हैं। काली मिर्च की खेती करने से पहले इसकी खेती से जुड़ी कुछ अन्य जानकारियां होना आवश्यक है। आइए काली मिर्च की खेती पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
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उपयुक्त मिट्टी एवं जलवायु
- इसकी खेती के लिए लाल मिट्टी एवं लाल लैटेराइट मिट्टी सर्वोत्तम है।
- मिट्टी का पी.एच. स्तर 5 से 6 के बीच होना चाहिए।
- इसके अलावा इसकी खेती बेहतर जल निकासी वाली भूमि में करें।
- इसकी खेती के लिए आर्द्र उष्णकटिबंधीय जलवायु की आवश्यकता होती है।
- सिंचाई की उचित व्यवस्था होने पर इसकी खेती गर्म एवं आद्र जलवायु में भी की जा सकती है।
- लताओं के विकास के लिए 25 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान की आवश्यकता होती है।
- 10 डिग्री सेंटीग्रेड से कम तापमान होने पर पौधों के विकास में बाधा आती है।
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खेत तैयार करने की विधि
- सबसे पहले खेत की अच्छी तरह जुताई कर के मिट्टी को भुरभुरी बना लें।
- इसके बाद पौधों की रोपाई के लिए 10 से 12 फिट की दूरी पर गड्ढे तैयार करें।
- सभी गड्ढों में 10 किलोग्राम कम्पोस्ट या गोबर की खाद के साथ 1 किलोग्राम नीम की खली मिला कर भरें।
- सभी गड्ढों में पहले से तैयार किए गए पौधों की रोपाई कर के सिंचाई करें।
सिंचाई एवं खरपतवार नियंत्रण
- पौधों को लगातार सिंचाई की आवश्यकता होती है।
- खेत में नमी की कमी न होने दें।
- सिंचाई के समय इस बात का भी ध्यान रखें कि खेत में जल जमाव की समस्या न हो।
- पौधों में फूल आने के समय अधिक सिंचाई करने से फूलों के झड़ने की समस्या शुरू हो जाती है। इसलिए फूल आने के समय कम सिंचाई करें।
- खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए आवश्यकता के अनुसार निराई-गुड़ाई करें।
फसल की पैदावार
- इसके प्रत्येक पौधे से 1 वर्ष में 4 से 6 किलोग्राम तक काली मिर्च की पैदावार होती है।
- प्रति एकड़ भूमि में करीब 440 पौधों की रोपाई की जा सकती है।
- प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर करीब 16 से 24 वुएंटल तक पैदावार होती है।
काली मिर्च : जानें पौधे तैयार करने की विधि
कालीमिर्च लताओं की तरह बढ़ने वाला एक बारहमासी पौधा है। इसकी जड़ें करीब 2 मीटर तक गहरी होती हैं। पौधों में सफेद रंग के फूल खिलते हैं। कई औषधीय गुणों से भरपूर काली मिर्च का भारतीय मसलों में प्रमुख स्थान है। सभी मौसम में इसकी मांग होने के कारण इसकी खेती मुनाफे का सौदा साबित हो सकती है। आइए इस पोस्ट के माध्यम से काली मिर्च की खेती से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करें।
काली मिर्च की खेती का सही समय
- शुरूआती समय में काली मिर्च के पौधे तेज धूप सहन नहीं कर सकते हैं।
- इसलिए सितम्बर से नवंबर महीने के बीच पौधों की रोपाई करें।
- वर्षा ऋतु के शुरुआत के समय भी पौधों की रोपाई की जा सकती है।
काली मिर्च के पौधे तैयार करने की विधि
इसके पौधों को कई तरह से तैयार किया जा सकता है। जिनमें परंपरागत विधि, परंपरागत विधि, सर्पेंनटाइन विधि, आदि शामिल है।
- परंपरागत विधि : इस विधि के द्वारा मिट्टी को प्लास्टिक बैग या गमले में भर कर उसमें बीज की रोपाई करते हैं। रोपाई के करीब 1 महीने बाद पौधे निकलने लगते हैं।
- परंपरागत विधि : इस विधि से पौधे तैयार करने के लिए सबसे पहले मिट्टी में गोबर की खाद मिलाएं। इसके बाद उच्च गुणवत्ता के पौधों की कटिंग में रूटिंग हार्मोन लगाकर मिट्टी में रोपाई करें। कुछ समय पौधों की कटिंग में जड़ें निकलने लगती हैं। कटिंग में जब शाखाएं निकलने लगे तब मुख्य खेत में इसकी रोपाई कर सकते हैं।
- सर्पेंनटाइन विधि : इस विधि के द्वारा बहुत कम खर्च में हम काली मिर्च की एक बेल से कई पौधे तैयार कर सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले एक बड़े ग्रो बैग या गमले या क्यारी में मुख्य पौधे की रोपाई करें। कुछ दिनों में यह पौधा लताओं की तरह बढ़ने लगेगा और इसमें कुछ दूरी पर गांठें बनने लगेंगी। इन गांठों को काटे बिना ही मिट्टी में दबा दें। 2 गाठों के बीच 1 गांठ छोड़ कर दबाएं और हल्की सिंचाई करें। कुछ दिन बाद मिट्टी में दबाई गई गांठों में जड़ें एवं शाखाएं बनने लगेंगी। जड़ों एवं शाखाओं के बनने के बाद इसे काट कर मुख्य खेत में रोपाई करें।
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