आइये आज हम आपको बताते है | की धान की खेती कैसे करनी चाहिए | अच्छी फसल के लिए हमे किस तरह से ध्यान देते हुए फसल तैयार करनी चाहिए तो आइए जानते है |
धान की खेती कैसे करनी चाहिए
पौध तैयार करके बिजाई :
सबसे पहले धान की खेती के लिए धान की पौध अच्छी तरह से तैयार करनी चाहिए क्योकि जब पौध अच्छी होगी तो पौधा भी अच्छा बनेगा और फसल अच्छी होगी अगर आपकी पौध तैयार है तो अब पौध लगाने का समय है | उसके लिए हमे अपनी जमीन को अच्छे से तैयार करना है उसकी अच्छे से जुताई करवानी चाहिए की उसमे मिटटी के डेले न हो मिटटी एक दम मुलायम हो जाय जिससे की खेत में पानी भी अच्छे से रुक सके और पानी ज्यादा Waste न हो |
जमीं तैयार होने के बाद अब फिर इसकी बिजाई का समय हो गया है | भारत की सबसे बड़ी समस्या जमीन के निचले पानी का लगातार निचे गिरता लेवल है | जिस वजह से जमीन का पानी निकलने की लिए सबमर्सिबल मोटर का उपयोग करना पड़ रहा है |इसके लिए हमे बहुत खर्चा भी झेलना पड़ता है | धान को सही समय बिजाई के बाद खेत में लगाने से पानी की बचत की जा सकती है | धान का अच्छा झाड़ लेने के लिए पौध की बिजाई मई में की जानी चाहिए |
ज्यादा समय लेने वाली किस्मे जैसे PR 122 की पौध लगने का समय 15 मई से 20 मई और दरमिआना समय लेने वाली किस्मे जैसे की PR 123, PR 121, PR 114, PR 113 के लिए 20 से 25 मई तक का समय पौध के लिए सही है | आम तोर पे बिजाई से 25-30 दिन के बाद धान की पौध लगाने के लिए तैयार जाती है |
अगर किसी कारण पौध निकाल के धान की लुयाई नहीं की गयी तो पौध 50 दिन की उम्र तक भी खेत में लगाई जा सकती है | कम समय लेने वाली किस्मे (PR 115, PR 124, PR 126) जिन लवाई पिछेती होती है,उसके लिए बिजाई का समय 20-30 मई है | 20 -30 मए तक उसकी पौध लगा सकते है | इन किस्मो के लिए पौध की उम्र 30-35 दिन से ज्यादा नहीं होनी चाहिए |
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बासमती के अच्छी किस्म के चावल और झाड़ पैदा करने के लिए पौध को निकाल के लगाने का समय बहुत महत्वपूर्ण है | इस किस्म के सीटे उस समय पड़ते हैं जब दिन की लम्बाई सही होती है | अगेती फसल उस समय सीटों पे आ जाती है जब तापमान ज्यादा होता है जिस से चावल पकने के गुणों पे असर पड़ सकता है|
अगर बासमती 370 और बासमती 386 किस्मो की पौध अगेती खेत में लगाई जाये तो इससे फसल बहुत उची होने से गिर सकती है | धान की लम्बे समय में पकने वाली किस्में लगाने से सिंचाई के पानी की जरूरत बाद में ज्यादा आती है | किसान को कम समय में पकने वाली किस्मों को तरजीह देनी चाहिए जिससे कि पानी की बचत हो सके और बासमती धान की ज्यादा गुणवत्ता वाली किस्मे लगानी चाहिए |
थोड़े समय में पकने वाली किस्मे जैसे की PR 115(125 दिन ) PR 124 (135 दिन) PR 126 (123 दिन ) किस्म सब से ज्यादा सही है | यह किस्मे धान की और किस्मों के मुकाबले खेत में 15-20 दिन कम रहने से कम पानी मांगती हैं |
तैयार किये खेत में पौध लगाने के 2 हफ्ते बाद तक पानी का खेत में रहना बहुत जरूरी है | इस से पौध के पेड़ खेत में अच्छी तरह जम जायेंगे | इस के बाद पानी उस समय दें जब पहले के पानी को खपत होये दो दिन हो गए हों लेकिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जमीन पे तरेड़ें न पड़ें इस से सिंचाई के पानी काफी बचत हो जाती है और फसल के झाड़ पे भी कोई असर नहीं पड़ता |
पानी की बचत की लिए 15-20 सेंटीमीटर गहराई में लगे तैशीओमीटर में पानी का लेवल हरी पट्टी से पिली पट्टी में दाखल होने से (15 20 सेंटीमीटर ) पानी लगाएं | खेतों में पानी 10 सेंटीमीटर से ज्यादा नही होना चाहिए | फसल पकने से दो हफ्ते पहले पानी देना बंद कर देना चाहिए ताकि कटाई आसान हो सके |
विना पौध के सीधे बिजाई :
अगर आप चाहते है कि वीणा पौध तैयार किए सीधे बिजाई की जय तो कर सकते है | धान की सीधी बिजाई के लिए जून का पहले पंद्रह दिन और बासमती किस्मो के लिए जून का दूसरे पंद्रह दिन सही समय हैं |
अगर धान की सीधी बिजाई सीधे खेत में की जाती है तो बिजाई के तुरंत बाद सिंचाई करें और दूसरी सिंचाई 4-5 दिन बाद करें | अगर धान की बिजाई moisture किये खेत में की गयी है तो पहली सिंचाई बिजाई के 5-7 दिन बाद की जानी चाहिए | आखरी पानी धान कटने से दस दिन पहले दें | लेकिन धान की सीधी बिजाई केवल medium से heavy जमीनों में की जा सकती है |
इस तरह से बीजी फसल को छोटे खुराकी तत्त्व और नदिनों की रोकथाम में ज्यादा ध्यान देना चाहिए | धान की कम समय लेने वाली PR 115 किस्म सीधी बिजाई के लिए सही है | बासमती धान की किसमों से पूसा बासमती 1121 और पूसा बासमती 1509 धान की सीधी बिजाई के लिए सही हैं |
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धन्यबाद!