हमारे हिन्दू धर्म में यह एक रीति रिवाज है कि पूजा, विवाह ,या किसी शुभ कार्य को करते वक़्त माथे पर तिलक लगाया जाता है | तो क्या आप जानते है | कि माथे पर तिलक क्यों लगाया जाता है | यदि नहीं तो हम बताते है कि क्यों लगाया जाता है माथे पर तिलक पढ़िए –
माथे पर तिलक हमेशा माथे के बीच यानि कि बिलकुल केंद्र पर लगाया जाता है | और माथे के केंद्र पर लगाने के पीछे भी एक कारण है | कि हमारे शरीर में सात ऊर्जा केंद्र होते है | तिलक को माथे के बीच में इसलिए लगाया जाता है | क्योकि हमारे मष्तिक के बीच में ही हमारा आज्ञाकेन्द्र होता है | जिसे हम गुरुकेन्द्र कहते है | यह स्थान एकाग्रता और ज्ञान से परिपूर्ण होता है | गुरुकेन्द्र को बृहस्पति गृह का केंद्र माना जाता है | और बृहस्पति गृह तो सभी देवताओ के देव है |
जब भी तिलक लगाया जाता है तो वो अनामिका उंगली से ही लगाना चाहिए | क्योकि अनामिका उंगली सूर्य का प्रतीक होती है | और इस उंगली से तिलक लगाने पर तेजस्व और प्रतिष्ठा मिलती है | और जब मान सम्मान के लिए तिलक लगाया जाता है तो अंगूठे से लगाया जाता है | क्योकि जब अंगूठे से तिलक लगते है तो ज्ञान और आभूषण की प्राप्ति होती है | और जब विजय प्राप्ति के लिए तिलक लगाया जाता है तो तर्जनी उंगली से लगाया जाता है |
तिलक चाहे किसी भी रंग का हो हर रंग का तिलक ऊर्जा दायी और मान्य होता है | और सभी रंग के तिलक में ऊर्जा पायी जाती है | लेकिन सफ़ेद रंग चन्दन का तिलक हमेशा शीतलता के लिए लगाया जाता है | और लाल रंग का तिलक लगाने से ऊर्जा और पीले रंग का तिलक प्रसन्नचित रखने के लिए लगाया जाता है | और काले रंग का तिलक भी लगाया जाता है जो कि भोले जी के भक्त हमेशा बिभूति के रूप में लगाते है | काले रंग का तिलक मोहमाया से दूर रखने के लिए लगाया जाता है |
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